रेलवे पहले जैसा नहीं रहा, सबकुछ बदल रहा है। रेल मंत्री सुरेश प्रभु अपनी रेल को कुछ इसी तरह बदल रहे हैं, जिसमें रेल सेवा पर कम ... आमदनी बढ़ाने पर अधिक ध्यान है। टिकट रद्द करने का शुल्क दो से तीन गुना बढ़ाने से लेकर बच्चों का पूरा किराया वसूलने तक के सरफरनामे की तस्वीर सामने आ गई है। आरक्षण चार्ट जारी करने की प्रणाली को भी बदल दिया है। लेकिन, यात्री सुविधाएं बढ़ाने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं । न तो त्वरित खिड़की खोलने में तत्परता और न ही बिना टिकट ट्रेन में चढऩे वालों को टीटीई द्वारा टिकट दिए जाने की व्यवस्था की गई। केवल कारोबार बढ़ाने वाले परिवर्तिन को ही जल्दी-जल्दी लागू किया जा रहा है।
रेलवे के इस बदलाव को आमदनी बढ़ाने के रूप में देखा जा रहा है। उन सभी तरीकों को आजमाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, जिससे सीधे तौर पर रेलवे के कोष में बढ़ोतरी हो सके। वहीं यात्री सुविधा के लिहाज से रेल बजट में जो घोषणाएं की गई थी, उन पर अमल करने पर रुचि नहीं दिखाई जा रही है।
चाहे महिला डिब्बों में सीसीटीवी कैमरा लगाने की बात हो या फिर पीने के लिए शुद्ध पानी के आरओ लगाने की।
टिकट रद्दकरण से जेब कटौती
पहले : कोई भी ट्रेन छूटने के बाद टिकट रद्द कराने पर आधी रकम वापस की जाती थी। जबकि चार घंटा पहले तक २५ प्रतिशत रद्दकरण शुल्क काटा जाता था।
अब : एसी से लेकर शयनयान तक आरक्षण रद्द कराने का शुल्क दो से तीन गुना काटा जा रहा हैा यहां तक गाड़ी छूटने के चार घंटा पहले टिकट रद्द कराने पर कोई भी पैसा वापस नहीं मिलेगा।
आरक्षण चार्ट जारी करने का खेल
पहले : गाड़ी छूटने के दो से तीन घंटा पहले आरक्षण चार्ट जारी होता था। तब तक यदि कोई यात्री अपना टिकट रद्द कराता था तो दूसरे को सीट मिल जाती थी। अब सब कुछ टीटीई के भरोसे।
अब : संबंधित स्टेशन से गाड़ी छूटने के 6 से 7 घंटा पहले चार्ट जारी कर दिया जाता है। चार घंटे का समय बचने की स्थिति में टिकट रद्द कराने में पूरा किराया डूब जाता है। रद्द होने वाले टिकट की जगह करंट काउंटर से टिकट देने की प्रक्रिया का प्रचार-प्रसार भी नहीं किया जा रहा है।
नहीं मिली ये सहूलितें
01 टिकट रद्दकरण नियम बदलने के साथ त्वरित खिड़की की व्यवस्था को अलग से शुरू करना था, अब तक नहीं किया। ऐसी स्थिति में यात्रियों को जल्दबाजी की स्थिति में भी अन्य यात्रियों के टिकट खिडकियों पर धक्के खाने पड़ते हैं।
02 महिला यात्रियों के सुरक्षित सफर के लिए डिब्बों में सीसीटीटी कैमरे लगाने की बात थी, किसी भी गाड़ी में नहीं लगा।
03 यात्रियों को स्वच्छ वातावरण और शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का दावा किया। इसके तहत ट्रेन के डिब्बों में आरओ लगाना था, जो आज तक किसी भी गाड़ी में नहीं लगा।
04 टिकट खिड़की पर यात्रियों को लंबा इंतजार न करना पड़ेगा। ट्रेन का टिकट ट्रेन में मिलने की बात कही गई, लेकिन किसी भी गाड़ी में यह सुविधा यात्रियों को नहीं मिली। टीटीई को हस्तचालित मशीन उपलब्ध करवानी, जिसका पता नहीं है।
सारनाथ में एकमुश्त वसूली
पहले : दुर्ग स्टेशन से चलने वाली सारनाथ एक्सप्रेस में अंतिम स्टेशन तक किराया नहीं वसूला जाता था। किसी भी स्टेशन से निर्धारित कोटा के अनुसार पक्का (कन्फर्म)टिकट मिल जाता था।
अब : इस गाड़ी में दुर्ग से छपरा तक सीट उपलब्धता (कोटा) सीधे दोगुना बढ़ा दी है। रायपुर स्टेशन से टिकट लेने पर प्रतीक्षासूची और दुर्ग से छपरा तक टिकट कन्फर्म। बनारस, इलाहाबाद जाने वाले यात्रियों से छपरा स्टेशन तक एक मुश्त किराया वसूली।
जनशताब्दी पर मार
पहले: जनशताब्दी ट्रेनों में साधारण टिकट पर सफर करने की सुविधा थी, उसे बंद किया जा रहा है।
अब : इस ट्रेन के यात्रियों से आरक्षण शुल्क वसूला जाएगा। यह व्यवस्था अगले महीने से लागू हो जाएगी।
5 से 12 साल के बच्चे का पूरा किराया
पहले: रेलवे में 5 से 12 वर्ष के बच्चों का टिकट आधा लगता था और सीट पूरी मिलती थी।
अब : अप्रेल से पूरा किराया वसूलने का फरमान जारी कर दिया गया है। अब बच्चों के साथ सफर करना हर यात्री को महंगा पड़ेगा। अपने बराबर किराया बच्चों का भी देना होगा।
प्लेटफार्म टिकट 5 रु. से 10 रुपए
स्टेशनों पर भीड़ कम करने के झूठे बहाने से पिछले एक साल में प्लेटफार्म टिकट 3 रु. से 10रु पहुँच गया है ।
न्यूनतम किराया 5 रु. से 10 रुपए
पहले : छोटे और कम दूरी वाले स्टेशनों का किराया ५ रुपए ।
अब : लोकल ट्रेन में सफर करने पर कम से कम दूरी वाले स्टेशन का किराया सीधे बढ़ाकर दोगुना 10 रुपए किया।
सौजन्य patrika.com रायपुर से केपी शुक्ल
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