Tuesday, May 3, 2016

रेलवे पहले जैसा नहीं रहा


रेलवे पहले जैसा नहीं रहासबकुछ बदल रहा है। रेल मंत्री सुरेश प्रभु अपनी रेल को कुछ इसी तरह बदल रहे हैंजिसमें रेल सेवा पर कम ... आमदनी बढ़ाने पर अधिक ध्यान है। टिकट रद्द करने का शुल्क दो से तीन गुना बढ़ाने से लेकर बच्चों का पूरा किराया वसूलने तक के सरफरनामे की तस्वीर सामने आ गई है।  आरक्षण चार्ट जारी करने की प्रणाली को भी बदल दिया है। लेकिनयात्री सुविधाएं बढ़ाने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं । न तो त्वरित खिड़की खोलने में तत्परता और न ही बिना टिकट ट्रेन में चढऩे वालों को टीटीई द्वारा टिकट दिए जाने की व्यवस्था की गई। केवल कारोबार बढ़ाने वाले परिवर्तिन को ही जल्दी-जल्दी लागू किया जा रहा है।

रेलवे के इस बदलाव को आमदनी बढ़ाने के रूप में देखा जा रहा है। उन सभी तरीकों को आजमाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई हैजिससे सीधे तौर पर रेलवे के कोष में बढ़ोतरी हो सके। वहीं यात्री सुविधा के लिहाज से रेल बजट में जो घोषणाएं की गई थीउन पर अमल करने पर रुचि नहीं दिखाई जा रही है।

चाहे महिला डिब्बों में सीसीटीवी कैमरा लगाने की बात हो या फिर पीने के लिए शुद्ध पानी के आरओ लगाने की।

टिकट रद्दकरण से जेब कटौती
पहले : कोई भी ट्रेन छूटने के बाद टिकट रद्द कराने पर आधी रकम वापस की जाती थी। जबकि चार घंटा पहले तक २५ प्रतिशत रद्दकरण शुल्क काटा जाता था।
अब : एसी से लेकर शयनयान तक आरक्षण रद्द कराने का शुल्क दो से तीन गुना काटा जा रहा हैा यहां तक गाड़ी छूटने के चार घंटा पहले टिकट रद्द कराने पर कोई भी पैसा वापस नहीं मिलेगा।

आरक्षण  चार्ट जारी करने का खेल

पहले : गाड़ी छूटने के दो से तीन घंटा पहले आरक्षण चार्ट जारी होता था। तब तक यदि कोई यात्री अपना टिकट रद्द कराता था तो दूसरे को सीट मिल जाती थी। अब सब कुछ टीटीई के भरोसे।

अब : संबंधित स्टेशन से गाड़ी छूटने के से घंटा पहले चार्ट जारी कर दिया जाता है। चार घंटे का समय बचने की स्थिति में टिकट रद्द कराने में पूरा किराया डूब जाता है। रद्द होने वाले टिकट की जगह करंट काउंटर से टिकट देने की प्रक्रिया का प्रचार-प्रसार भी नहीं किया जा रहा है।

नहीं मिली ये सहूलितें

01 टिकट रद्दकरण  नियम बदलने के साथ त्वरित खिड़की की व्यवस्था को अलग से शुरू करना थाअब तक नहीं किया। ऐसी स्थिति में यात्रियों को जल्दबाजी की स्थिति में भी अन्य यात्रियों के टिकट खिडकियों पर धक्के खाने पड़ते हैं।

02 महिला यात्रियों के सुरक्षित सफर के लिए डिब्बों में सीसीटीटी कैमरे लगाने की बात थीकिसी भी गाड़ी में नहीं लगा।
03 यात्रियों को स्वच्छ वातावरण और शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का दावा किया। इसके तहत ट्रेन के डिब्बों में आरओ लगाना थाजो आज तक किसी भी गाड़ी में नहीं लगा।
04 टिकट खिड़की पर यात्रियों को लंबा इंतजार न करना पड़ेगा। ट्रेन का टिकट ट्रेन में मिलने की बात कही गईलेकिन किसी भी गाड़ी में यह सुविधा यात्रियों को नहीं मिली। टीटीई को हस्तचालित मशीन उपलब्ध करवानीजिसका पता नहीं है।

सारनाथ में एकमुश्त वसूली

पहले : दुर्ग स्टेशन से चलने वाली सारनाथ एक्सप्रेस में अंतिम स्टेशन तक किराया नहीं वसूला जाता था। किसी भी स्टेशन से निर्धारित कोटा के अनुसार पक्का (कन्फर्म)टिकट मिल जाता था।

अब : इस गाड़ी में दुर्ग से छपरा तक सीट उपलब्धता (कोटा) सीधे दोगुना बढ़ा दी है। रायपुर स्टेशन से टिकट लेने पर प्रतीक्षासूची और दुर्ग से छपरा तक टिकट कन्फर्म। बनारसइलाहाबाद जाने वाले यात्रियों से छपरा स्टेशन तक एक मुश्त किराया वसूली।

जनशताब्दी पर मार

पहले: जनशताब्दी ट्रेनों में साधारण टिकट पर सफर करने की सुविधा थीउसे बंद किया जा रहा है।

अब : इस ट्रेन के यात्रियों से आरक्षण शुल्क वसूला जाएगा। यह व्यवस्था अगले महीने से लागू हो जाएगी।

से 12 साल के बच्चे का पूरा किराया
पहले: रेलवे में से 12 वर्ष के बच्चों का टिकट आधा लगता था और सीट पूरी मिलती थी।

अब : अप्रेल से पूरा किराया वसूलने का फरमान जारी कर दिया गया है। अब बच्चों के साथ सफर करना हर यात्री को महंगा पड़ेगा। अपने बराबर किराया बच्चों का भी देना होगा।

प्लेटफार्म टिकट रु. से 10 रुपए
स्टेशनों पर भीड़ कम करने के झूठे बहाने से पिछले एक साल में प्लेटफार्म टिकट 3 रु. से 10रु  पहुँच गया है

न्यूनतम किराया रु. से 10 रुपए
पहले : छोटे और कम दूरी वाले स्टेशनों का किराया ५ रुपए ।
अब : लोकल ट्रेन में सफर करने पर कम से कम दूरी वाले स्टेशन का किराया सीधे बढ़ाकर दोगुना 10 रुपए किया।



सौजन्य patrika.com रायपुर से केपी शुक्ल 

रेलवे के अग्रिम आरक्षण को लेकर कई सुझाव

वाराणसी से इन्द्रभूषण दुबे

रेलवे के अग्रिम आरक्षण को लेकर कई सुझाव आये हैं। इसमें निर्धारित समय सीमा को कम करने का सुझाव ज्यादा है। टिकट रद्द  कराते समय शुल्क कटौती को कम करने के लिए पत्र लिखा है। सभी सुझाव व पत्र को रेलवे बोर्ड व मंत्रालय  को भेज दिया गया है। -अजीत सिन्हावरिष्ठ डीसीएम उरे।

अग्रिम आरक्षण के समय को 120 दिन से कम कर 30 दिन करने की मांग रेल मंत्रालय से की है। इसके लिए यात्रियों ने मंडल स्तरमहाप्रबंधक और रेलवे बोर्ड के साथ मंत्रालय  को पत्र लिखा है। भेलूपुर के रमेश कुमार ने कहा कि रेलवे अग्रिम आरक्षण  के समय को कम कर 30 दिन करें ताकि यात्रियों पर आर्थिक बोझ न पड़े।

अग्रिम आरक्षण मुद्दे पर सोशल साइट पर अभियान भी शुरू हो गया।  change.org नामक वेबसाइट पर विधि जैन नामक युवती ने इस नियम को आर्थिक दोहन वाला बताया। अब तक ऑनलाइन याचिका से40 हजार लोग जुड़ चुके हैं। सोशल साइट पर अग्रिम आरक्षण  की समय सीमा 120 दिन की जगह 30दिन व रद्द कराने पर शुल्क को वापस लिया जाये।
अग्रिम आरक्षण के समय में बदलाव के लिए अब आवाज उठने लगी है।

इसके लिए जनता ने रेल मंत्रालय और अधिकारियों को पत्र भी लिखना शुरू कर दिया है। उम्मीद की जा रही है कि आगामी बजट में रेलमंत्री इस संबंध में नई घोषणा कर सकते हैं।

ये हैं नियम: भारतीय रेलवे ने पहले अग्रिम आरक्षण  का नियम 60 दिन का बनाया था। बीते साल नवम्बर में इसमें बदलाव करते हुए इसकी समय सीमा बढ़ाकर 120 दिन यानी चार महीना कर दिया।

आरक्षण  रद्द  कराने में कट रही दो गुनी से अधिक रकम:आरक्षण  रद्द  कराने का निर्धारित शुल्क दो गुना कर दिया। पहले किसी भी ट्रेन के छूटने के बाद टिकट रद्द  कराने पर आधा पैसा वापस होता था। वहीं चार घंटे पहले तक यह शुल्क 25 प्रतिशत था पर नये नियम के अनुसार सभी श्रेणियों के टिकट रद्द  कराने पर दो से तीन गुनी रकम काट ली जा रही है। यहां तक ट्रेन छूटने के चार घंटे पहले टिकट रद्द  कराने पर पैसा वापस नहीं होता है।



कमाई का जरिया बना: रेलवे के इन दोनों नियमों से यात्री काफी परेशान हो रहे हैं। उनका आर्थिक दोहन भी हो रहा है। लंका निवासी प्रशांत त्रिपाठी ने बताया कि रेलवे ने ये नियम अपनी कमाई के लिए बनाये हैं। अगर संभावना पर आरक्षण  करा भी लिया जाये तो इसकी गारंटी नहीं है कि यात्र की जायेगी। 90प्रतिशत मामले में टिकट कैंसिल ही कराना पड़ता है। इससे अच्छी कमाई होती है।