Wednesday, January 2, 2013

चलो गिरनार: अभी नहीं तो कभी नहीं - हमारे तीर्थ/मंदिर और साधुओं को सुरक्षा दो, वर्ना गद्दी छोड़ो


[ घटना १: गुजरात के गिरनार पर्वत दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र पर १ जनवरी २०१३ को मुनिश्री १०८ प्रबल सागर जी महाराज पर पंडों द्वारा चाकुओं से प्राणघातक हमला, मुनि गंभीर, मुनि दीक्षा का हुआ विच्छेद, अस्पताल में करना पड़ा भर्ती.

घटना २: भड़ूच में दो श्वेताम्बर मुनियों की ट्रक से कुचलकर नृशंस हत्या कर दी गयी, जैन संघ के लिए ये दोनों घटनाएँ शोक लेकर आई हैं २०१३ का क्या है भविष्य)

देश के हर प्रदेश की जैन संस्थाएँ एक तारीख सुनिश्चित करके गिरनार और गुजरात की राजधानी ‘गांधीनगर में एक विशाल निकालें और गिरनार के पहाड़ पर कब्ज़ा करना चाहिए

जैन तीर्थों और जैन मुनियों की सुरक्षा एवं जैनों को अखिल भारतीय स्तर पर ‘अल्पसंख्यक’ दर्जे की मांग को लेकर सर्वोच्च न्यायालय  में तुरंत एक जनहित याचिका दाखिल की जानी चाहिए.

भारत की विकास दर और कर चुकाने के मामले में जैन समाज का योगदान सबसे ऊपर है फिर भी सरकार हमारे लिए कुछ नहीं करती, हमारे मुनियों और तीर्थों पर हमलों की घटनाएँ हर दिन बढ़ रही हैं .

क्या हम अंधे, बहरे और लाचार हो गये है, कि हमे भिखारी समझा जा रहा है? या फिर हम एक अनचाहा अंग है भारत का? क्या भारत के अजैन जैनोंसे इतने असुरक्षित हैं कि उनपर, उनके तीर्थों और उनके आराध्य मुनियों पर हमले करना, उन्हें कुचलना ही एक बहुसंख्य समाज का आखरी रास्ता बचा है?

देशभर के सभी जैन व्यापारी चाहे दिगंबर हो या श्वेताम्बर एक दिन नक्की करो और उस दिन अपनी दुकानें, कम्पनियाँ, कारखाने, जैन सीए/सीएस/डॉ./वकील/इंजीनियर आदि के दफ्तर पूरी तरह बंद कर दो.
जब तक हम जैन  देशव्यापी व्यवसाय बंद नही करेंगे तब तक यह सरकार जागने वाली नही है।

जैनों के प्रतिनिधि मंडल देश की हर राजनीतिक पार्टी के अध्यक्षों और सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को मिलें और ज्ञापन सौंपें. कह दो जब तक इन बातों का निराकरण नहीं हो जाता, विश्राम नहीं करेंगे. अब हमें इन सब हमलों का जवाब चाहिए. समाधान चाहिए. अब चुप नहीं बैठेंगे.

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